मुखड़ा क्या देखे दर्पण में bhajan lyrics

मुखड़ा क्या देखे दर्पण में 



LYRICS

मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

धर्मी धर्मी पार उतर गया
पापी डूबा जल में
मुखड़ा क्या देखे दर्पणमें
दया धर्म न तन में

कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी
जोड़ लायी बर्तन में
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

आये चोर ले गए माया
रह गयी मन की मन में
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

माटी का एक बना पुतला
रहा पलंग पे सोये
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

हरी की माला क्यों नहीं जपता
कैसे मुक्ति होये
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

चुन चुन कंकर महल बनायीं
लोग कहे घर मेरा
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

न घर तेरा न घर मेरा
चिड़िया रेन बसेरा
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
दया धर्म न तन में

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